भारत में पहला आधार कार्ड किसका बना था –
आधार कार्ड पर एक नजर-
आधार कार्ड एक बायोमेट्रिक दस्तावेज है जो भारत में पहचान और पते के प्रमाण के रूप में कार्य करता है। आधार कार्ड में एक अद्वितीय 12 अंक का सार्वभौमिक पहचान संख्या होती है इसका मतलब यह कि यह संख्या किसी और आधार से मिल नहीं खायेगा, जैसा कि हम सभी के मोबाइल नंबर के साथ होता है। हमारा मोबाइल नंबर किसी और के मोबाइल नंबर से मिल नहीं खाता है इस आधार कार्ड की उपयोगिता सरकारी डेटाबेस में व्यक्तियों के व्यक्तिगत विवरणको सुरक्षित करने के लिए किया जाता है।
आधार कार्ड की कार्यप्रणाली को किस सरकार द्वारा लागू किया गया था-
आज भारत जैसे विशाल देश में 90% आबादी के पास उनका खुद का आधार कार्ड मौजूद है, वहीं दूसरी तरफ क्या कभी आपने इस बारे में सोचा है, कि देश में सबसे पहला आधार कार्ड किसका बना था। अगर नहीं तो आज हम आपको इसी बारे में बताने वाले हैं, आधार कार्ड की कार्यप्रणाली को यूपीए सरकार के अंतर्गत लागू किया गया था। इंफोसिस के सह संस्थापक नंदन नीलेकनी ने आधार परियोजना की अध्यक्षता की थी।
आधार कार्ड के आने से पहले भारत में कई व्यापक बदलाव हुए थे। आधार व्यक्ति की पहचान का प्रमाण है, इसके आने से देश में पारदर्शिता देखने को मिली है, और कई सरकारी कामकाजों में भी सुधार हुआ है, विभिन्न सरकारी योजनाओं, बैंकिंग से जुड़े हुए कार्य, नौकरी आदि जगहों पर आधार कार्ड की खास जरूर हम लोगों को होती है, इसी कारण भारत में विशाल पैमाने पर लोगों के पास आधार कार्ड उपलब्ध हैं। इसी कड़ी में आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि भारत में पहला आधार कार्ड किसका बना था लिए जानते हैं-
आधार कार्ड कब से बनना शुरू हुए-
जनवरी 2009 में भारत सरकार ने भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (UIDAI) का गठन किया इस प्राधिकरण के गठन के बाद सितंबर 2010 से आधार कार्ड बनाने का कार्य प्रारंभ हुआ इसके बाद विशाल पैमाने पर भारत में लोगों का आधार कार्ड बनाकर उसको वितरित किए जाने की शुरुआत हुई।
भारत का पहला आधार कार्ड-
अब अगर हम बात करें भारत के सबसे पहले आधार कार्ड की तो देश का पहला आधार कार्ड 29 सितंबर 2010 को रंजना सोनावाने का बना थारंजन महाराष्ट्र की रहने वाली एक महिला है उसे दौरान उनके निवास स्थान महाराष्ट्र के नंदुबार जिले के तंभाली में था, जो कि पुणे से करीब 470 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
किस गांव से शुरू हुई आधार कार्ड बनने की प्रक्रिया-
यूपीए सरकार के दौरान आधार कार्ड को बनाने का प्रारंभ महाराष्ट्र के नंदुबार जिले के तंभाली गांव से ही शुरू हुआ था। रंजन सोनावाने का उनका पहला आधार कार्ड सोनिया गांधी और तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री मनमोहन सिंह की मौजूदगी में दिया गया था।
तो इस प्रकार रंजना सोनावाने भारत की वह पहली महिला बनी जिनको भारत का पहला आधार कार्ड मिला आज भारत में बड़े पैमाने पर लोगों के पास आधार कार्ड मौजूद हैं, सरकार की कई लोक कल्याण योजनाओं का लाभ उठाने के लिए इसकी जरूरत हम सभी को पढ़ाती है आधार कार्ड के आने से देश के भीतर एक पारदर्शिता आई है।
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आधार कार्ड पर 2023 पर सुप्रीम कोर्ट का क्या फैसला रहा-
भारत की शीर्ष अदालत ने आधार की संवैधानिक वैधता को बरकरार रखा और कहा कि सरकारी योजनाओं के लाभ के लिए यह अनिवार्य रहेगी हालांकि स्कूलों में एडमिशन और बैंक खाता खोलने के लिए यह अनिवार्य नहीं है।
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