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 संपूर्ण रामायण

by manoffacts.com
"Sita, consort of Lord Rama in the Ramayana""Hanuman, the devoted disciple in the Ramayana""Battle scene from the Ramayana""Sage Valmiki, author of the Ramayana"

Ramayana: Story, Characters, and Teachings of the Epic Hindu Saga

“रामायण की खोज करें, एक प्राचीन हिंदू महाकाव्य जो भगवान राम, उनकी सहधर्मी सीता और भक्त हनुमान की दिव्य यात्रा की कथा है। इसमें कर्तव्य, धर्म, और प्रेम के अनन्य शिक्षाएं हैं, जो महायुद्ध और नैतिक संदेहों के साथ जुड़ी हुई हैं। इस महाकाव्य में प्रसिद्ध पात्रों और हिंदू पौराणिक कथाओं में इसके स्थायी सांस्कृतिक महत्व के बारे में जानें।”

रामायण एक महान हिंदू महाकाव्य है जिसे वाल्मीकि ने लिखा था। यह कथा भगवान राम के जीवन पर आधारित है, जो आदर्श पुरुष और मर्यादा पुरुषोत्तम के रूप में पूजनीय हैं। रामायण सात कांडों में विभाजित है, जो भगवान राम के जीवन की विभिन्न घटनाओं का वर्णन करते हैं। ये कांड हैं: बालकांड, अयोध्याकांड, अरण्यकांड, किष्किंधाकांड, सुंदरकांड, लंकाकांड, और उत्तरकांड। इस महाकाव्य में धार्मिक, नैतिक, और सांस्कृतिक मूल्यों का विस्तृत वर्णन है।

1. बालकांड

Table of Contents

राम का जन्म और बाल्यकाल

बालकांड की शुरुआत अयोध्या नगरी के राजा दशरथ की कथा से होती है। राजा दशरथ की तीन रानियाँ – कौशल्या, कैकेयी और सुमित्रा थीं, लेकिन कोई संतान नहीं थी। महर्षि वशिष्ठ के सुझाव पर उन्होंने अश्वमेध यज्ञ किया। इस यज्ञ के फलस्वरूप, अग्निदेव ने उन्हें दिव्य खीर प्रदान की जिसे उनकी रानियों ने ग्रहण किया। इसके परिणामस्वरूप, कौशल्या ने राम को जन्म दिया, कैकेयी ने भरत को और सुमित्रा ने लक्ष्मण और शत्रुघ्न को जन्म दिया।

विश्वामित्र का आगमन और राम-लक्ष्मण का वन गमन

बालकांड में विश्वामित्र का आगमन भी उल्लेखनीय है। वे राजा दशरथ से राम और लक्ष्मण को अपनी यज्ञ रक्षा के लिए मांगते हैं। विश्वामित्र राम और लक्ष्मण को मारीच और ताड़का जैसे राक्षसों से लड़ने के लिए प्रशिक्षित करते हैं।

जनकपुर और सीता स्वयंवर

जनकपुर में सीता स्वयंवर का आयोजन होता है। राजा जनक ने स्वयंवर के लिए एक शर्त रखी थी कि जो शिवधनुष को तोड़ेगा, वही सीता से विवाह करेगा। राम ने इस चुनौती को सफलतापूर्वक पूरा किया और सीता से विवाह किया। इसके साथ ही उनके भाइयों के भी विवाह हुए: लक्ष्मण-उर्मिला, भरत-मांडवी, और शत्रुघ्न-श्रुतकीर्ति।

2. अयोध्याकांड

राम का राज्याभिषेक और कैकेयी की मांग

अयोध्याकांड की शुरुआत राम के राज्याभिषेक की तैयारी से होती है। राजा दशरथ राम को अयोध्या का राजा बनाने का निर्णय लेते हैं। इस पर कैकेयी की दासी मंथरा उसे दो वरदानों की याद दिलाती है, जो दशरथ ने युद्ध के समय कैकेयी को दिए थे। कैकेयी वरदान के रूप में राम के वनवास और भरत को राजगद्दी देने की मांग करती है।

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राम का वनवास

कैकेयी की मांग सुनकर दशरथ व्याकुल हो जाते हैं, लेकिन वचनबद्ध होने के कारण वे इसे स्वीकार करते हैं। राम, अपने पिता के वचन की मर्यादा रखने के लिए, वनवास जाने का निर्णय लेते हैं। उनके साथ सीता और लक्ष्मण भी वनवास के लिए जाते हैं।

दशरथ का निधन और भरत की वापसी

राम के वनवास के बाद, राजा दशरथ का दुःख के कारण निधन हो जाता है। भरत, जो अपनी ननिहाल में थे, अयोध्या वापस लौटते हैं और पूरी घटना जानकर वे राम को वापस लाने के लिए वन जाते हैं। लेकिन राम अपने पिता के वचन की मर्यादा के लिए वापस लौटने से मना कर देते हैं। भरत, राम की चरणपादुका को अयोध्या ले जाकर राम के प्रतीक रूप में सिंहासन पर रखते हैं और नंदीग्राम में रहकर राज्य का संचालन करते हैं।

3. अरण्यकांड

पंचवटी और शूर्पणखा

अरण्यकांड में राम, सीता और लक्ष्मण का वनवास का विवरण है। वे कई वन क्षेत्रों में घूमते हुए पंचवटी पहुंचते हैं और वहीं बसते हैं। एक दिन, शूर्पणखा, जो रावण की बहन थी, राम से विवाह की इच्छा व्यक्त करती है। राम उसे लक्ष्मण के पास भेजते हैं, लेकिन लक्ष्मण भी उसे अस्वीकार कर देते हैं। शूर्पणखा क्रोधित होकर सीता को मारने का प्रयास करती है, जिससे लक्ष्मण उसकी नाक काट देते हैं।

खर-दूषण और सीता हरण

शूर्पणखा अपने भाइयों खर और दूषण को राम-लक्ष्मण से लड़ने के लिए बुलाती है, लेकिन वे भी मारे जाते हैं। शूर्पणखा अपने भाई रावण से सहायता मांगती है। रावण, मारीच की सहायता से, स्वर्ण मृग का रूप धारण कर सीता को लुभाता है। सीता, उस मृग को पकड़ने के लिए राम को भेजती हैं। राम के पीछे जाने पर लक्ष्मण को भी भेजती हैं। इस दौरान, रावण ने साधु का वेश धारण कर सीता का हरण कर लिया।

जटायु की वीरता

सीता के हरण के समय जटायु नामक एक गिद्ध ने रावण से लड़ने का प्रयास किया, लेकिन रावण ने उसे गंभीर रूप से घायल कर दिया। राम और लक्ष्मण जटायु को मृतप्राय अवस्था में पाते हैं और उनसे सीता के हरण का विवरण प्राप्त करते हैं।

4. किष्किंधाकांड

सुग्रीव से मित्रता

किष्किंधाकांड में राम और लक्ष्मण की मुलाकात हनुमान से होती है, जो उन्हें सुग्रीव से मिलवाते हैं। राम और सुग्रीव मित्रता का संधि करते हैं, जिसमें राम सुग्रीव को बाली से मुक्त करने का वचन देते हैं। 

बाली वध

राम, बाली का वध करते हैं और सुग्रीव को किष्किंधा का राजा बनाते हैं। सुग्रीव अपने वचन के अनुसार, वानरों की सेना को सीता की खोज के लिए भेजते हैं।

सीता की खोज

हनुमान और अन्य वानर सीता की खोज में दक्षिण दिशा की ओर बढ़ते हैं। उन्हें सम्पाती से जानकारी मिलती है कि सीता लंका में है। 

5. सुंदरकांड

हनुमान का लंका गमन

सुंदरकांड में हनुमान का अद्भुत साहस और शक्ति का वर्णन है। हनुमान समुद्र पार कर लंका पहुंचते हैं और सीता को अशोक वाटिका में दु:खी अवस्था में पाते हैं। 

अशोक वाटिका और सीता से मुलाकात

हनुमान सीता को राम का संदेश और अंगूठी देते हैं। सीता उन्हें अपनी चूड़ामणि देकर राम को सौंपने के लिए कहती हैं।

लंका में हनुमान की लीलाएं

हनुमान, लंका में राक्षसों के बाग को उजाड़ते हैं और रावण के पुत्र अक्षय कुमार का वध करते हैं। उन्हें रावण के दरबार में लाया जाता है, जहां उनकी पूंछ में आग लगा दी जाती है। हनुमान अपनी जलती पूंछ से लंका को जलाकर वापस लौट आते हैं और राम को सारी जानकारी देते हैं।

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6. लंकाकांड

राम की सेना का लंका प्रस्थान

लंकाकांड में राम और उनकी वानर सेना का लंका प्रस्थान का वर्णन है। रामसेतु का निर्माण होता है और वानर सेना लंका पहुंचती है।

विभीषण का रावण का त्याग

रावण के भाई विभीषण, रावण को राम से युद्ध न करने की सलाह देते हैं, लेकिन रावण उन्हें अपमानित कर लंका से निकाल देता है। विभीषण राम की शरण में आ जाते हैं और उन्हें लंका पर विजय प्राप्त करने की योजना में सहायता करते हैं।

युद्ध और रावण वध

राम और रावण के बीच भयंकर युद्ध होता है। इस युद्ध में रावण के कई शक्तिशाली योद्धा, जैसे कुम्भकर्ण और मेघनाद मारे जाते हैं। अंततः राम, रावण का वध करते हैं और सीता को मुक्त करते हैं।

7. उत्तरकांड

अयोध्या वापसी

उत्तरकांड में राम, सीता और लक्ष्मण की अयोध्या वापसी का वर्णन है। अयोध्या में उनके आगमन पर भव्य स्वागत होता है और राम का राज्याभिषेक किया जाता है।

सीता का वनवास

कुछ समय बाद, एक धोबी की टिप्पणी के कारण, राम सीता को पुनः वनवास भेज देते हैं। सीता वाल्मीकि आश्रम में शरण लेती हैं और वहां लव-कुश को जन्म देती हैं।

लव-कुश और राम का मिलन

लव और कुश राम के अश्वमेध यज्ञ के घोड़े को पकड़ लेते हैं। राम, उनके अद्भुत वीरता से प्रभावित होते हैं और उन्हें पहचानते हैं। अंततः, सीता अपने चरित्र की सत्यता सिद्ध करने के लिए पृथ्वी माता से निवेदन करती हैं और पृथ्वी में समा जाती हैं।

राम का अंत समय

राम, अपने समय का पूर्ण करने के बाद, सरयू नदी में जलसमाधि लेकर वैकुंठ धाम को प्रस्थान करते हैं।

रामायण, भगवान राम के जीवन और उनके आदर्शों का एक महान ग्रंथ है, जो धर्म, नीति, और मर्यादा की शिक्षा देता है। इस महाकाव्य का हर कांड और हर पात्र हमें जीवन के विभिन्न पहलुओं को समझने और सही मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है।

Q- रामायण कितने साल पहले हुई थी?

Ans- जो संभवतः ईसा से 400 साल पहले लिखी गई थी। इसके बाद ईसा से 300 साल पूर्व का काल वाल्मीकि रामायण का मिलता है। वाल्मीकि रामायण को सबसे ज्यादा प्रमाणिक इसलिए भी माना जाता है क्योंकि वाल्मीकि भगवान राम के समकालीन ही थे और सीता ने उनके आश्रम में ही लव-कुश को जन्म दिया था।

Q- राम की मूर्ति काली क्यों है?

Ans- प्राचीन ग्रंथ में भगवान राम को श्यामल रूप में चित्रित किया गया है, जो गहरे रंग की त्वचा का प्रतीक है। नतीजतन, राम लला की मूर्ति का काला रंग शास्त्र की कथा के अनुरूप है, जो मूर्ति की उपस्थिति और रामायण में पाए गए विवरणों के बीच संबंध स्थापित करता है।

Q- राम के बाद अयोध्या का क्या हुआ?

Ans- अयोध्या की एक स्थानीय मौखिक परंपरा, जिसे पहली बार 1838 में रॉबर्ट मोंटगोमरी मार्टिन द्वारा लिखित रूप में दर्ज किया गया था, में उल्लेख है कि राम के वंशज बृहद्बाला की मृत्यु के बाद शहर वीरान हो गया था। यह शहर तब तक वीरान रहा जब तक कि उज्जैन के राजा विक्रम इसे खोजते हुए नहीं आए और इसे फिर से स्थापित किया।

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